देवभूमि न्यूज 24.इन
(छियालीसवां अध्याय) महालक्ष्मी अवतार… (भाग 1)ऋषि बोले- दैत्यों के कुल में जन्मे महादैत्य रंभासुर का महिषासुर नामक पुत्र महावीर और पराक्रमी था। उसने समस्त देवताओं को युद्ध में परास्त करके स्वर्ग पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। तब सभी देवता दुखी होकर ब्रह्माजी और विष्णुजी को अपने साथ लेकर भगवान शिव के पास पहुंचे। उन्होंने भगवान शिव को सारी बातें विस्तारपूर्वक सुनाई।
सारी कथा सुनने के उपरांत क्रोधित भगवान शिव की आंखों और मुख से एक दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज में सब देवताओं ने अपना-अपना तेज मिलाया जिससे देवी महामाया जगदंबा का प्रादुर्भाव हुआ। उन्हें देखकर देवताओं की प्रसन्नता की कोई सीमा न रही। सबने देवी को अनेक आयुध एवं आभूषण भेंट किए। ब्रह्माजी, विष्णु और शिवजी सहित समस्त देवताओं की अनेकों शक्तियां ग्रहण करने के पश्चात देवी ने जोर का अट्टहास और गर्जना की।
देवी की गर्जना से धरती, आकाश और पाताल गूंज गए। उस गर्जना को सुनकर देव शत्रु दैत्यों ने अपने-अपने हथियार उठा लिए। देखते ही देखते देवी जगदंबा दैत्यों से युद्ध करने पहुंच गईं। दैत्यों और देवी के बीच घोर संग्राम होने लगा। देवी जगदंबा ने शूल, शक्ति, तोमर आदि शस्त्रों से लाखों दैत्यों का विनाश कर दिया। पराक्रमी देवी को देखकर दैत्य सेना भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगी। तब महिषासुर ने आकर देवी जगदंबा को ललकारा। उसने तलवार लेकर देवी के वाहन सिंह पर आक्रमण कर दिया। अपने सिंह पर आई इस विपत्ति को देखकर देवी ने अपना पाश महिषासुर पर फेंका।
अपनी ओर आते पाश को देखकर महिषासुर ने महिष का रूप त्यागकर सिंह का रूप धारण कर लिया। देवी जगदंबा ने यह देखकर झपट कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया परंतु महिषासुर फिर भी न मरा और रूप बदल-बदलकर देवी से युद्ध करने लगा और उनके सिंह को परेशान करने लगा। इस प्रकार देवी और महिषासुर का युद्ध बहुत लंबे समय तक चलता रहा। उनके इस भयानक युद्ध से पूरा त्रिलोक कांप उठा। । सारे जीव-जंतु दुखी हो गए। तब देवी उछलकर महिषासुर पर चढ़ गईं। उन्होंने अपने पैरों से महिषासुर को कुचल दिया और अपने त्रिशूल से उसकी जिह्वा काट दी।
इस प्रकार देवी जगदंबा ने महिषासुर का वध कर त्रिलोक को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। सभी देवता हर्षित होकर देवी की स्तुति करने लगे। सारी दिशाओं से पुष्प वर्षा होने लगी।
क्रमशः शेष अगले अंक में…
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
*नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान