संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराण✍️

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देवभूमि न्यूज 24.इन

वैष्णव-खण्ड [ भूमिवाराहखण्ड या वेंकटाचल-महात्म्य ] महर्षि अगस्त्य की तपस्या से सुवर्ण मुखरी नदी का प्रादुर्भाव और उसका महात्म्य…(भाग 4) अर्जुनने कहा- भगवन् ! आपने इस महानदीकी उत्पत्तिका वृत्तान्त कहा- अब मैं इसके प्रभावको सुनना चाहता हूँ।

भरद्वाजजी बोले-पाण्डुनन्दन ! सौ योजन दूरसे भी इस सुवर्णमुखरीका स्मरण करके मनुष्य सब पापोंसे मुक्त हो जाता है। यदि सुवर्णमुखरीके जलमें देहधारियोंकी अस्थि डाल दी जाय, तो वह उनके ब्रह्मलोकपर चढ़नेके लिये सीढ़ी बन जाती है। सुवर्णमुखरीका स्मरण करते हुए मनुष्य जहाँ कहीं भी अन्य जलोंमें स्नान कर लें, तो उन्हें उत्तम पदकी प्राप्ति होती है। इन्द्र आदि देवता सुवर्णमुखरी नदीमें स्नान करनेके लिये ललचाये हुए चित्तसे मनुष्य-शरीरको ही प्राप्त करना चाहते हैं।

यदि तोला भर भी सुवर्णमुखरी नदीका जल पी लिया जाय तो वह देहधारियोंके पर्वतसमान पापोंका भी शीघ्र नाश कर देता है। देवताओंमें विष्णु, नक्षत्रोंमें चन्द्रमा, मनुष्योंमें राजा,वृक्षोंमें कल्पवृक्ष, महाभूतोंमें आकाश, समस्त शक्तियोंमें मायाशक्ति, मन्त्रोंमें गायत्री मन्त्र देवताओंके अस्त्र-शस्त्रोंमें वज्र, तत्त्वोंमें आत्मतत्त्व, यजुर्वेदके मन्त्रोंमें रुद्राष्टाध्यायी, नागोंमें शेषनाग पर्वतोंमें हिमालय, क्षेत्रोंमें वराहक्षेत्र तथा इन्द्रियों में मनके समान सम्पूर्ण नदियोंमें सुवर्णमुखरी नदी श्रेष्ठ है। ‘अगस्त्य पर्वतसे प्रकट हो दक्षिण समुद्र में मिलनेवाली और सब पापोंका नाश करनेवाली तुम स्वर्णमुखरी नदीकी मैं शरण लेता हु जगदम्बे ! बड़े-बड़े पातकों से दग्ध हुए अपने इस शरीरको मैं तुम्हारे जलसे धोता हूँ।

मुझे कल्याणसे युक्त करो।’ इन दो सूक्तोंका भलीभाँति उच्चारण करके जो मनुष्य नियमपूर्वक सुवर्णमुखरीके जलमें स्नान करता है, वह शुद्ध होकर आनन्दका भागी होता है। कुन्तीनन्दन ! चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहणके समय सुवर्णमुखरीके तटपर किया हुआ स्नान, दान आदि अनन्त फलकी प्राप्ति करानेवाला होता है। संक्रान्ति, अयन तथा व्यतीपातके दिन सुवर्णमुखरी नदीमें किया हुआ स्नान मनुष्यका उद्धार कर देता है। सुवर्णमुखरीके जलमें स्नान करके मनुष्य दुःस्वप्नके विघ्नसे तथा ग्रहोंके दुष्ट स्थानमें रहनेसे प्राप्त होनेवाले पाप-तापसे तर जाता है। सुवर्णमुखरीके तटपर किया हुआ जप, होम, तप, दान, श्राद्ध और देवपूजन सौगुना फल देनेवाला होता है। अर्जुन ! इस प्रकार तुमसे महानदी सुवर्ण- मुखरीकी उत्पत्ति और प्रभाव का भलीभाँति वर्णन किया गया।

क्रमशः…
शेष अगले अंक में जारी
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान