देश में वक्फ की 500,000 सम्पत्तियाँ हैं, जो 600,000 एकड़ में फैली हैं।
*देवभूमि न्यूज डेस्क*
भारतीय रेलवे और रक्षा विभाग के बाद भूमि का तीसरा सबसे बड़ा स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है।
और तो और मुकेश अंबानी के घर अंटालिया पर भी इन्होंने दावा ठोंका हुआ है।
वक्फ का शाब्दिक अर्थ है खड़ा होना, रोकना या कब्जे में लेना। क्फ की जमींदारी अकल्पनीय रूप से विशालकाय है। इसमें लगभग 5 लाख पंजीकृत संपत्ति और लगभग 6 लाख एकड़ भूमि शामिल है।
वक्फ एक्ट का गठन 1954 में हुआ, जिसमें इसे कई शक्तियाँ दी गई। वक्फ एक्ट 1984 के समय राजीव गांधी ने इसे विशेषाधिकार दिए, लेकिन 1995 में इसे प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार भी दे दिए गए। वर्ष 2013 में मनमोहन सिंह ने तो इसमें कुछ संशोधन करके वक्फ बोर्ड की ताकत को चरम पर पहुँचा दिया।एक तरह से भारत सरकार के समानांतर इसकी शक्तियाँ हो गयीं जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता।
चलिए अब समझते है कि आखिर ऐसा क्या है वक्फ एक्ट 1995 में जो इसे हिन्दुओं और पूरे भारत भूमि के लिए बहुत ही ज्यादा ख़तरनाक बनाता है:-
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धारा 36 & धारा 40-
इस प्रावधान में यह लिखा है कि वक्फ बोर्ड किसी की भी प्रॉपर्टी को चाहे वह प्राइवेट हो, सोसाइटी की हो या फिर किसी भी ट्रस्ट की, उसे अपनी सम्पत्ति घोषित कर सकता है।
धारा 40 (1)-
अगर किसी Individual की प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित किया जाता है तो उसको उस ऑर्डर की कॉपी तक देने का कोई प्रावधान नहीं है और अगर आपने उसके खिलाफ 3 साल के अंदर अपील नहीं की तो वो ऑर्डर फाइनल हो जाएगा।
Sec 52 & sec 54-
जो सम्पत्ति वक्फ संपति घोषित हो जाएगी, उसके बाद वहाँ जो रह रहा होगा वह ”ENCROCHER” माना जाएगा। उसके बाद वक्फ बोर्ड डीएम को जगह खाली कराने का निर्देश देगा, जिसे डीएम मानने के लिए बाध्य होगा।
Sec 28 & sec 29-
वक्फ बोर्ड का जो ऑर्डर होगा उसका पालन स्टेट मशीनरी एवं डीएम को करना होगा।
अब एक सवाल उठता है कि क्या ऐसे आधिकार किसी पंडित, मठाधीश या फिर किसी अन्य हिन्दू जैन बौद्ध सिक्ख ट्रस्ट को दिया गया है?
धारा 85-
इसके तहत अगर कोई मामला वक्फ से संबंधित है तो आप दीवानी दावा दायर नहीं कर सकते है, मतलब आप वक्फ ट्रिब्यूनल में जाने के लिए बाध्य होंगे जहाँ का प्रत्येक सदस्य मुस्लिम होगा।
धारा 89-
इसमें अगर आप सिविल कोर्ट जाना चाहते है तो आपको वक्फ बोर्ड को दो महीने का नोटिस देना पड़ेगा।
धारा 101-
आप यह जानकर दंग रह जायेंगे कि वक्फ बोर्ड के मेंबर पब्लिक सर्वेन्ट हैं। क्या किसी भी हिंदू संस्थान में मठाधीश, शंकराचार्य, पंडित को पब्लिक सर्वेंट माना गया है?
पूर्ण रूप से एक मजहबी संस्था है वक्फ बोर्ड
इसी के स्वामित्व और प्रबंधन के लिए कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत न सिर्फ कानूनी अमलीजामा पहनाया, बल्कि इसके साथ-साथ इसको जमीन हड़पने के प्रशासनिक अधिकार के अलावा विवाद सुलझाने के न्यायिक अधिकार भी दिए। किसी भी रूप से इसका सदस्य या अंग बनने के लिए आपका मुसलमान होना अनिवार्य है।
वक्फ पूर्ण रूप से एक मजहबी संस्था है जो मजहब की आड़ में भू माफिया में परिवर्तित हो गई है।पर कांग्रेस ने न सिर्फ इसे वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत कानूनी वैधता प्रदान किया, बल्कि इसे संवैधानिक मान्यता भी दे दिया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि विषय ‘वक्फ’ भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची से जुड़ी समवर्ती सूची में प्रविष्टि संख्या 10- “ट्रस्ट और ट्रस्टी” के सापेक्ष है जो यह घोषित करता है कि यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का मामला है।
प्रधानमंत्री की उच्च-स्तरीय समिति ने पुष्टि की है कि देश भर में 49 से अधिक पंजीकृत वक्फ हैं, जिनमें से दिल्ली में वक्फ संपत्ति के वर्तमान मूल्य का अनुमान 6,000 करोड़ रुपये से अधिक है। उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्ति सबसे ज्यादा है।
पर ये सब कहने की बातें हैं। असल में वक्फ अधिनियम, 1995 जैसे काले कानून के रूप में न सिर्फ भू जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि इस संस्था को एकाधिकार प्रदान कर भारत भू संसाधन पर मुस्लिमों का वर्चस्व स्थापित किया जा रहा है।
इसके साथ साथ इस अधिनियम के बहुतेरे प्रावधान ऐसे भी हैं, जिनका धर्मनिरपेक्ष भारत में कोई स्थान नहीं है।इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
(पोस्ट साभार व संशोधित)